Dil Ki Baat Shayari Ke Saath
"इश्क़ की दहकती आग की लपटें तुम क्या जानो, जो खुद दीया जलते ही रकी़ब की बाहोंमे मोम सी पिघल जाती हो....."
"इश्क़ की दहकती आग की लपटें तुम क्या जानो, जो खुद दीया जलते ही रकी़ब की बाहोंमे मोम सी पिघल जाती हो....."
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